Rock bush quail female

Rock bush quail female attacked by harrier. I recall my memories in this shot so small poem.

रुकजाना हमरी फितरत नही, जक्म के बिना जिंदा रहेना कुदरत मे नही|

जक्म दिया हें ज़माने ने बहुत, आब हमारा प्यारा इस दुनिया मे नही |

थक जाती हें अब ये सासे, इसतरह कि जिंदगी अब हमें कुबूल नही|

लड़ते हें हम रोज अपने आप से , हार के जितना शायद हमारे तक़दीर मे नही |

Comments

  1. Awesome pics buddy and more than that great shayari....par tumko kisne jakhm diya pyare...ladkiyon se bat bhi karte janab kabhi dikhai nahi dete :).....keep up the good work JD....would like to see this blog updated every day ;).....waise arz hum bhi karte hain:

    zakhmon ke bina zindagi bhi kya hogi,
    waise hi jaise khoon bina rawani hogi...
    ye zakhm hi to yaad dilate hain bewafai ki...
    jise humne dilo jaan se chaha uski judai ki

    shikayat bhi karen to kya zamane se
    ab hame bhi adat ho chuki hai is tanhai ki

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  2. खुशबु कि तरह तुम हम से मिलो गे , ये खोईश थी,

    खोईश हें कि आप रहो मेरी जिंदगी मे खुश्बुओ कि तरह हमेशा, मै भी बरसाता रहू शबर इसी तरह हमेशा|
    कहते हें खोईशओ का कोई एक्तियर नही होता, होते तो हें ये बहुत पर साकार कोई नही होता|
    लगती हें चोट बहुत गहरी, होश मे आने के बाद जब कोई साथ नही होता|
    रहते हें हम इन फूलो कि तरह, जिनका शाम के बाद नामोनिशान नही होता|

    खोए रहता हु इसी खोईश मे, कि मोत भी हमे जुदा ना कर पाए|

    इसी पर अर्ज़ हें

    शाम से बेठा सहर तक पिता रहा |
    कभी होश को खोता तो कभी पता रहा |
    तुम कभी ना भूलो मुझे इसलिए |
    कलम को गम मे डुबो कर तेरे बारे मे लिखता रहा |
    तुजे भूल पाने कि सजा कुछ और होगी, हम ने तो तुज़े चाहने कि सजा पायी हें|
    रातेसितम कुश और होगी, हम ने तो तुम्हे खोने के सजा पायी हें|

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